बुधवार, 26 जून 2013

हिन्दुस्तान ! ये क्या हो रहा है ? - श्रीसंत और यूसुफ पठान में फर्क़ है या नहीं ?

ऐसा लगता है कि सुप्रसिद्ध हिन्दी दैनिक 'हिन्दुस्तान'  के सम्पादकीय विभाग में कर्मी सोते -सोते ही खबरें लगाते हैं.

कम  से कम खेल  समाचार वाले पृष्ठ पर जिनका सम्पादकीय दायित्व है , वे तो ऊंघते ऊंघते ही काम कर रहे होते है.

पिछले वर्ष सितम्बर माह की एक खबर और फोटो शीर्षक पर मैने एक जुमला इसी ब्लोग पर लिखा था, शायद दैनिक 'हिन्दुस्तान' में किसी ने देखा नहीं ( देखें     http://jaanebheedoyaaro.blogspot.in/2012/09/blog-post.html    हिन्दुस्तन को चेतन चौहान और कीर्ति अज़ाद का फर्क़ नहीं पता )

अभी 24 जून के अंक को देखकर मैं एक बार फिर चौंका . खबर  क्रिकेट खिलाड़ी श्रीसंत के बारे में थी जो अभी हाल में आई पी एल 6 में 'स्पोट फिक्सिंग' मामले में जमानत पर छूटे  हैं.


खबर का शीर्षक था " श्रीसंत ने ट्रेनिंग शुरू की,  जल्द करेंगे वापसी" . इस रोचक शीर्षक ओ देखकर पूरी खबर पढने का मन हुआ. परंतु ये क्या..?  खबर के साथ फोटो तो श्री संत की नहीं थी, वह तो जाना -पहचाना क्रिकेटर यूसुफ पठान था. सोचा शायद पठान ने ही श्रीसंत तो ट्रेनिंग देने का मन बनाया होगा.


परंतु जब पूरी खबर पढी तो पाया कि सारी की सारी खबर सिर्फ और सिर्फ यूसुफ पठान के बारे में ही थी . उसमें श्री संत की कही कोई भी  जिक्र नहीं था.

हुआ ऐसा होगा कि खबर बनाने वाले ने पूरी सही खबर बनायी , फोटो भी शई लगायी ,पर शीर्षक लिखते समय वह चूक कर गया . होना चाहिये था "  यूसुफ पठान  ने ट्रेनिंग शुरू की,  जल्द करेंगे वापसी" और उसकी जगह गलती से ( या नीन्द के कारण ) खबर मे श्रीसंत समा गये और बेचारे यूसुफ पठान बाहर हो गये. 


अब कौन नींद में था और कौन नहीं- ये बहस का मामला हो सकता है. 

किसकी गलती है और किसकी नहीं- इस पर भी विवाद हो सकता है . 

पिछली बार की तरह " कंफूज़न" तो हो ही गया ना !  

जाने भी दो यारो !! 


सोमवार, 10 सितंबर 2012

हिन्दुस्तान को चेतन चौहान और कीर्ति आज़ाद का फर्क़ नहीं पता?


चेतन चौहान और कीर्ति आज़ाद दोनों ही पूर्व क्रिकेटर हैं और दोनों ने ही देश का प्रतिनिधित्व किया है. दोनों ही क्रिकेट से अवकाश लेने के बाद राजनीति में आये. दोनों ही भारतीय जनता पार्टी से  सम्बद्ध हैं. दोनों ही लोकसभा के सदस्य ( रहे) हैं.

लेकिन यहां इन दोनों का साम्य खत्म हो जाता है. जहां चेतन चौहान उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ते हैं, वहीं कीर्ति आज़ाद  बिहार से ( इनके पिता बिहार के मुख्य मंत्री भी थे)



लेकिन हिन्दी के राष्ट्रीय समाचार दैनिक  'हिन्दुस्तान' को यह फर्क़ नहीं पता. इस दैनिक समाचार पत्र के लिये शायद दोनों एक ही शख्स  हैं. तभी तो इस दैनिक के 09 सितम्बर के अंक में प्रकाशित समाचार ( फोटो के साथ) में जिक्र तो कीर्ति अज़ाद का है और चित्र में नज़र आते हैं चेतन चौहान,जिनका प्रकाशित समाचार में कोई जिक्र ही नहीं है.
समाचार एक पुस्तक के विमोचन का है. इसमें लिखा है " वहीं पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आज़ाद ने कहा.." . साथ में प्रकाशित इस विमोचन के चित्र की शीर्षक में भी लिखा है .." विमोचन करते पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आज़ाद और वरिष्ठ साहित्यकार .."

या तो संवाददाता को नहीं पता कि कीर्ति और चेतन में क्या फर्क़ है. यह भी हो सकता है कि छायाकार इन दोनों क्रिकेटरों को नहीं पहचानता. यह भी हो सकता है...... शायद.......किसी ने पेज बनाने के बाद भी नहीं देखा... शायद सम्पदकीय विभाग ...... जाने भी दो यारो .

शुक्रवार, 25 मई 2012


महंगौ है गऔ तेल  

फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो  अब नांय बैठौंगो , कार में अब नांय बैठौंगो फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगौ.

·         तेल कौ पैसा मोपे नांय,  अब हमें कौउ पूछत नांय, कार अब हमें सुहावत नांय                 देख देख कें कुढ़ों  जाय में कैंसे बैठौंगो ?

·फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो



·         संग मेरे ठाड़ी गूजरिया, पहन के धानी चूनरिया, के पिक्चर ले चल सांवरिया

·पैदल कैंसे जांऊ मैं पिक्चर  घर ई बैठौंगो,                                             फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो                                                                                                                     

·         चीख रये सब टीवी अखबार, बढ़ गयी महंगाई दस बार, जे गूंगी बेहरी है सरकार             जनता बिल्कुल्ल है लाचार, देश में मच गऔ हाहाकार                                     दफ्तर मेरो दूर मैं, रस्ता कैसे पाटौंगौ ?

·फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो



·          कि नेता मज़े करें दिन रात , विन्हे महंगाई नांय सतात, कीमतें फिर फिर हैं बढ़ जात,        अबकी बारी सोच लयौ है वोट ना डारोंगौ  

फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो  अब नांय बैठौंगो,कार में अब नांय बैठौंगो  फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगौ.















मंगलवार, 3 जनवरी 2012

नूतन वर्षाभिन्दन

हैप्पी न्यू ईयर 2012

नाचो गाओ मौज़ मनाओ हैप्पी न्यू ईयर
नया वर्ष है खुशी मनाओ हैप्पी न्यू ईयर

प्यार से सबको गले लगाओ हैप्पी न्यू ईयर
जो रूठा है उसे मनाओ हैप्पी न्यू ईयर

महंगा है पेट्रोल तो उसकी चिंता भी छोड़ो
पैदल पैदल ओफिस आओ हैप्पी न्यू ईयर

जो दफ्तर में काम है ज्यादा पूरा उसे करो
ओवर टाइम भूल भी जाओ हैप्पी न्यू ईयर

लोकपाल की चिंता तुम क्यों करते हो अन्ना
अनशन छोड़ो,जम कर खाओ हैप्पी न्यू ईयर

लड्डू पेड़ा महंगा, महंगी चौकलेट भी है
आधा आधा मिलकर खाओ हैप्पी न्यू ईयर

( रचयिता: डा. अरविन्द चतुर्वेदी)

गुरुवार, 22 सितंबर 2011

महंगौ है गयौ तेल ( ब्रज भाषा का लोक गीत)




फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो
अब नांय बैठौंगो , कार में अब नांय बैठौंगो
फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगौ.


तेल कौ पैसा मोपे नांय,
अब हमें कौउ पूछत नांय,
कार अब हमें सुहावत नांय
देख देख कें कुढ़ों जाय में कैंसे बैठौंगो ?
फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो

संग मेरे ठाड़ी गूजरिया,
पहन के धानी चूनरिया,
के पिक्चर ले चल सांवरिया
पैदल कैंसे जांऊ मैं पिक्चर घर ई बैठौंगो, फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो







चीख रये सब टीवी अखबार,
बढ़ गयी महंगाई दस बार,
जे गूंगी बेहरी है सरकार
जनता बिल्कुल्ल है लाचार,
देश में मच गऔ हाहाकार
दफ्तर मेरो दूर मैं, रस्ता कैसे पाटौंगौ ?
फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो

कि नेता मज़े करें दिन रात ,
विन्हे महंगाई नांय सतात,
कीमतें फिर फिर हैं बढ़ जात,
अबकी बारी सोच लयौ है वोट ना डारोंगौ
फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो


अब नांय बैठौंगो,कार में अब नांय बैठौंगो
फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगौ.


Dr.Arvind Chaturvedi
डा.अरविन्द चतुर्वेदी

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

कवि सम्मेलन सम्पन्न



कवि सम्मेलन सम्पन्न
हिन्दी अकादमी द्वारा प्रायोजित एवम महाराष्ट्र मित्र मंडल द्वारका आयोजित कवि सम्मेलन द्वारका, नई दिल्ली में सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ. कवि सम्मेलन का सफल संचालन अंतर्राष्ट्रीय कवियत्री डा. कीर्ति काले द्वारा किया गया. इसमे पधारे कवि गणों में सर्वश्री उदय प्रताप सिंह, लक्ष्मी शंकर बाजपेयी, अलका सिन्हा, डा. अरविन्द चतुर्वेदी , महेन्द्र शर्मा एवम रमेश गंगेले अनंत शामिल थे.
कवि सम्मेलन का शुभारम्भ कवियत्री डा. कीर्ति काले द्वारा शारदे वन्दना से हुआ. तत्पश्चात श्री रमेश गंगेले ने ओज़ पूर्ण कविताओं में आतंकवाद तथा पाकिस्तान पर काव्य-प्रहार किये. इसके बाद डा. अरविन्द चतुर्वेदी ने हिंगलिश में रचित हास्य कविताओं व दुमदार दोहों से श्रोताओं को गुद्गुदाया.
हास्य सम्राट महेन्द्र शर्मा ने भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं पर हास्य-व्यंग्य की रचना सुनाकर वाह-वाही लूटी. आकाशवाणी के निदेशक श्री लक्ष्मी शंकर बाजपेयी ने सस्वर पाठ करते हुए पहले कुछ नये ढंग के मुक्तक सुनाये.इसी क्रम को जारी रखते हुए दोहे और गज़लें सुनायी जिन्हे श्रोताओं ने पूरे मनोयोग से सुना और जमकर प्रशंसा की. तदुपरांत कवियत्री डा. कीर्ति काले द्वारा मधुर गीत व मुक्तक प्रस्तुत किये तथा श्रोताओं की फरमाइश पर रचनायें प्रस्तुत कीं.
कवयित्री अलका सिन्हा ने जीवन के अनछुवे पहलुओं पर कवितायं सुनाकर आमंत्रित श्रोताओं का मन मोह लिया. कवि सम्मेलन का समापन वरिष्ठ कवि एवम सांसद श्री उदय प्रताप सिंह के काव्य पाठ से हुआ. उन्होने चान्दनी विषय पर तथा जीवन दर्शन से जुड़ी कवितायें सुनाकर श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध कर दिया.
( चित्र में बायें से श्री उदय प्रताप सिंह, डा. कीर्ति काले, (माइक पर) अलका सिन्हा, लक्ष्मी शंकर बाजपेयी, डा. अरविन्द चतुर्वेदी , महेन्द्र शर्मा एवम रमेश गंगेले अनंत, कवि सम्मेलन के कुछ अंश यू-ट्यूब पर (यहां) http://www.youtube.com/watch?v=DccVGBJ2DrI तथा
http://www.youtube.com/watch?v=Plc-zt03AYc उपलब्ध हैं.

गुरुवार, 1 सितंबर 2011

कवि सम्मेलन है कल शुक्रवार को


Kavi Sammelan कवि सम्मेलन 2 सितम्बर शुक्रवार, अखिलभारतीय कवि सम्मेलन, आयोजक : हिन्दी अकादमी, महाराष्ट्र मित्र मंडल: स्थान मिलेनिअम अपार्टमेंट, सेक्टर 9, द्वारका, नई दिल्ली. आमंत्रित कवि : (संचालक) डा. कीर्ति काले, उदय प्रताप सिंह, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, महेन्द्र शर्मा,डा. अरविन्द चतुर्वेदी, रमेश गंगेल्रे ,सुश्री अलका सिन्हा.
सभी सादर आमंत्रित हैं.