गुरुवार, 22 सितंबर 2011

महंगौ है गयौ तेल ( ब्रज भाषा का लोक गीत)




फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो
अब नांय बैठौंगो , कार में अब नांय बैठौंगो
फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगौ.


तेल कौ पैसा मोपे नांय,
अब हमें कौउ पूछत नांय,
कार अब हमें सुहावत नांय
देख देख कें कुढ़ों जाय में कैंसे बैठौंगो ?
फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो

संग मेरे ठाड़ी गूजरिया,
पहन के धानी चूनरिया,
के पिक्चर ले चल सांवरिया
पैदल कैंसे जांऊ मैं पिक्चर घर ई बैठौंगो, फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो







चीख रये सब टीवी अखबार,
बढ़ गयी महंगाई दस बार,
जे गूंगी बेहरी है सरकार
जनता बिल्कुल्ल है लाचार,
देश में मच गऔ हाहाकार
दफ्तर मेरो दूर मैं, रस्ता कैसे पाटौंगौ ?
फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो

कि नेता मज़े करें दिन रात ,
विन्हे महंगाई नांय सतात,
कीमतें फिर फिर हैं बढ़ जात,
अबकी बारी सोच लयौ है वोट ना डारोंगौ
फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगो


अब नांय बैठौंगो,कार में अब नांय बैठौंगो
फिर तें महंगौ है गऔ तेल, कार में अब नांय बैठौंगौ.


Dr.Arvind Chaturvedi
डा.अरविन्द चतुर्वेदी

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

कवि सम्मेलन सम्पन्न



कवि सम्मेलन सम्पन्न
हिन्दी अकादमी द्वारा प्रायोजित एवम महाराष्ट्र मित्र मंडल द्वारका आयोजित कवि सम्मेलन द्वारका, नई दिल्ली में सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ. कवि सम्मेलन का सफल संचालन अंतर्राष्ट्रीय कवियत्री डा. कीर्ति काले द्वारा किया गया. इसमे पधारे कवि गणों में सर्वश्री उदय प्रताप सिंह, लक्ष्मी शंकर बाजपेयी, अलका सिन्हा, डा. अरविन्द चतुर्वेदी , महेन्द्र शर्मा एवम रमेश गंगेले अनंत शामिल थे.
कवि सम्मेलन का शुभारम्भ कवियत्री डा. कीर्ति काले द्वारा शारदे वन्दना से हुआ. तत्पश्चात श्री रमेश गंगेले ने ओज़ पूर्ण कविताओं में आतंकवाद तथा पाकिस्तान पर काव्य-प्रहार किये. इसके बाद डा. अरविन्द चतुर्वेदी ने हिंगलिश में रचित हास्य कविताओं व दुमदार दोहों से श्रोताओं को गुद्गुदाया.
हास्य सम्राट महेन्द्र शर्मा ने भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं पर हास्य-व्यंग्य की रचना सुनाकर वाह-वाही लूटी. आकाशवाणी के निदेशक श्री लक्ष्मी शंकर बाजपेयी ने सस्वर पाठ करते हुए पहले कुछ नये ढंग के मुक्तक सुनाये.इसी क्रम को जारी रखते हुए दोहे और गज़लें सुनायी जिन्हे श्रोताओं ने पूरे मनोयोग से सुना और जमकर प्रशंसा की. तदुपरांत कवियत्री डा. कीर्ति काले द्वारा मधुर गीत व मुक्तक प्रस्तुत किये तथा श्रोताओं की फरमाइश पर रचनायें प्रस्तुत कीं.
कवयित्री अलका सिन्हा ने जीवन के अनछुवे पहलुओं पर कवितायं सुनाकर आमंत्रित श्रोताओं का मन मोह लिया. कवि सम्मेलन का समापन वरिष्ठ कवि एवम सांसद श्री उदय प्रताप सिंह के काव्य पाठ से हुआ. उन्होने चान्दनी विषय पर तथा जीवन दर्शन से जुड़ी कवितायें सुनाकर श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध कर दिया.
( चित्र में बायें से श्री उदय प्रताप सिंह, डा. कीर्ति काले, (माइक पर) अलका सिन्हा, लक्ष्मी शंकर बाजपेयी, डा. अरविन्द चतुर्वेदी , महेन्द्र शर्मा एवम रमेश गंगेले अनंत, कवि सम्मेलन के कुछ अंश यू-ट्यूब पर (यहां) http://www.youtube.com/watch?v=DccVGBJ2DrI तथा
http://www.youtube.com/watch?v=Plc-zt03AYc उपलब्ध हैं.

गुरुवार, 1 सितंबर 2011

कवि सम्मेलन है कल शुक्रवार को


Kavi Sammelan कवि सम्मेलन 2 सितम्बर शुक्रवार, अखिलभारतीय कवि सम्मेलन, आयोजक : हिन्दी अकादमी, महाराष्ट्र मित्र मंडल: स्थान मिलेनिअम अपार्टमेंट, सेक्टर 9, द्वारका, नई दिल्ली. आमंत्रित कवि : (संचालक) डा. कीर्ति काले, उदय प्रताप सिंह, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, महेन्द्र शर्मा,डा. अरविन्द चतुर्वेदी, रमेश गंगेल्रे ,सुश्री अलका सिन्हा.
सभी सादर आमंत्रित हैं.

गुरुवार, 18 अगस्त 2011

अन्ना के नाम एक गज़ल....

ये अन्धेरा अब पिघलना चाहिये
सूर्य बादल से निकलना चाहिये

कब तलक परहेज़ होगा शोर से
अब हमारे होँठ हिलना चाहिये

फुसफुसाहट का असर दिखता नहीँ
हमको अपना स्वर बदलना चाहिये

अब नहीँ काफी महज़ आलोचना
आग कलमोँ को उगलना चाहिये

ये नक़ाबेँ नोचने का वक़्त है
हाथ चेहरोँ तक पहुंचना चाहिये

वक़्त भी कम है हमारे हाथ से
अब न ये मौक़ा फिसलना चाहिये.

-डा. अरविन्द चतुर्वेदी

मंगलवार, 17 मई 2011

उड़ने की होड़ में हमारे पंख कट गये

सच को दबाने के लिये हथियार लिये है,
हर आदमी अब हाथ में अखबार लिये है.

बगलों में तंत्र मंत्र की गठरी दबाये है,
अब संत भी आंखों में चमत्कार लिये है.

उड़ने की होड़ में हमारे पंख कट गये,
हर दूसरा पंछी यहां तलवार लिये है .

हर पूजा अधूरी है बिना फूल के शायद,
हर फूल दिलों में ये अहंकार लिये है.

आता है झूमता हुआ इक डाकिये सा वो,
बादल है, बारिशों के समाचार लिये है.


जिसने बनाये ताज़ कटी उनकी उंगलियां,
सीने में यही दर्द तो फनक़ार लिये है.

मैं उससे बिछड़ तो गया, इस पार हूं मगर,
वो मेरे ख्वाब आंख में उस पार लिये है. **



-डा. अरविन्द चतुर्वेदी

शुक्रवार, 18 मार्च 2011

मजे ले होली में

नाचो दे दे ताल, मजे लो होली में,
गालों मलो गुलाल, मजे लो होली में.

रंग बिरंगे चेहरों में ढून्ढो धन्नो,
घर हो या ससुराल , मजे लो होली में.

हुश्न एक के चार नज़र आयें देखो,
एनक करे कमाल , मजे लो होली में


चढे भंग की गोली ,डगमग पैर चलें,
बहकी बहकी चाल, मजे लो होली में.

ऐश्वर्या जब तुम्हे पुकारे ‘अंकल जी’,
छूकर देखो गाल, मजे लो होली में


छेडछाड में पिट सकते हो ,भैया जी,
गैंडे जैसी खाल, मजे लो होली में.



बीबी बोले मेरे संग खेलो होली,
बैठो सड्डे नाल , मजे लो होली में.