मंगलवार, 15 जून 2010

एंडरसन के भव्य बंगले के पिछले दरवाजे से बी.एड. में प्रवेश दिलवायेगा " हिंदुस्तान"


है ना चौंकाने वाली खबर ? हिन्दी हिन्दुस्तान के रविवार 13 जून के अंक में वारेन एंड्रसन के अमेरिका स्थित भव्य बंगले को उ.प्र. सरकार के बी.एड. में प्रवेश से जोड़ दिया गया है.

खबर का इंट्रो बनाया गया है उत्तर प्रदेश सरकार के एक फैसले को ,जिसमे बी.एड .के लिये बेक डोर एंट्री रोकने की बात कही गयी है.

अब ज़रा हेडलाइन के नीचे बड़े हर्फों में लिखे मुख्य वाक्य को देखें ---

" अमेरिका के बेहद महंगे इलाके में भव्य बंगला है वारन एंडरसन का "
है कोई इन दोनों में सम्बन्ध ?

है पूरी खबर में कोई ज़िक्र वारन एंडरसन का ?

वारन एंडरसन का बी.एड. में दाखिले से क्या सम्बन्ध है ? कोई बतलायेगा प्लीईईएज़....


( उत्तर जानना है तो -दिल्ली से प्रकाशित हिन्दुस्तान 13 जून 2010 पेज़ 17 )


...जाने भी दो यारो.....

माफी नहीं, सर चाहिये

नहीं, इस बार माफी से काम नहीं चलेगा. दोषी चाहे कोई भी हो, गिरफ्तारी हो, समयबद्ध मुक़दमा चले और सज़ा होनी चाहिये


वारेन एंडर्सन को किसने भगाया ,किसने उससे रिश्वत ली और किसने देश वासियों के साथ धोखा किया? रोज़ाना नई नई जानकारिया सामने आ रही हैं . भोपाल के तत्कालीन डी एम , पुलिस अफसर ,हवाई जहाज़ का पायलट , किसी पार्टी का कोई प्रवक्ता, या किसी एन जी ओ का कोई सक्रिय सदस्य- इन सभी का कुछ भी बयान आये, इस बार कोई दोषी बचने ना पाये.

सबको मालूम है सी बी आई का कैसे दुरुपयोग किया जाता रहा है और (इसी मामले में नहीं,बल्कि अन्य मामलों में भी) किया भी गया. अब जनता का, मीडिया का इतना अधिक दबाब होना चाहिये कि सी बी आई अपने रीढ़ की हड्डी में बांस की खपच्ची लगा कर खडी हो और पूरे मुक़दमें के दोबारा सुनवाई की अपील सुप्रीम कोर्ट में करे.

अर्जुन सिंह मुंह खोलें या न खोलें , सबको हक़ीक़त पता है. पर अब अर्जुन सरीखों के मुंह को खोलने पर मज़बूर किया जाये. जो सरकारी अफसर यह कह कर बचना चाह रहा है कि वह क्या करता उसे तू ऊपर से आदेश थे, ऐसे सारे अफसरों को सरेआम खुली अदालत लगा कर नंगा किया जाये और ज़िम्मेदारी दोषी अफसरों पर भी डाली जाये .

प्रधान मंत्री ने मामले को ठंडा करने के लिये मंत्रिय़ों की एक समिति के हवाले कर दिया है . इस समिति की रपट क्या आयेगी यह भी सबको पहले से ही पता है. यदि किसी को बलि का बकरा बना कर कांग्रेस बचना चाहे और माफी नामा देश के सामने पेश करें तो इस माफी नामे को भी नकार दिया जाना चाहिये. हमें माफी नहीं ,सर चाहिये .
जो लोग अब ज़िन्दा नही हैं ,उन पर मुक़दमा तो नहीं चलाया जा सकता, परंतु यदि उनका दोष सामने आता है तो इसे इतिहास में दर्ज़ किया जाना ज़रूरी है .आने वाली पीढी को पता होना चाहिये कि पिछली पीढी में कैसे कैसे पापी हुए हैं.

यदि भारतीय लोकतंत्र कलंकित हुआ है तो लोकतंत्र के इस काले पन्ने को सबके सामने खुल कर रखे जाने की ज़रूरत है कि आने वाली पीढी सदैव सचेत रहे और लोकतंन्त्र फिर से दुबारा कलंकित न हो. अफसर शाही कलकित ना हों और न ही न्यायपालिका पर कोई आंच आये .

जनता के और मीडिया के दबाब से यह सम्भव है. यह दबाब बन रहा है. इसे और अधिक पुख्ता करने की ज़रूरत है .
वाह वाह !! नीतिश कुमार ! गुड़ खाओगे और गुलगुले से परहेज़ करोगे ?

इस सादगी पे कौन ना मर जाये ए खुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
जी हां ,ये ज़ुबानी ज़मा-खर्च की लड़ाई किसे दिखा रहे हैं बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ? भाजपा के साथ गल्बहियां भी हैं और आंखों के डोरे भी लाल हैं ! क्या बात हैं? ये बाज़ीगरी ही तो इनकी राजनीति का सबसे बड़ा हथियार है.

इधर भाजपा को आंख दिखायी ,प्रेस के सामने खूब गरियाये.उधर चुपके से .....लुधियाना की रैली में जो फोटो खींचा गया था फर्ज़ी था क्या? नहीं ना ? फिर हाय तौबा क्यों ? एक मोदी ( नरेन्द्र) को खरी खोटी सुनाई, दूसरे मोदी ( सुशील) को पुचकार दिया. इधर राजग ( NDA) के साथ सरकार भी चलाओगे और ‘सोने ‘ से खरे भी दिखना चाहोगे ?
जनता को बेवकूफ समझ रखा है क्या ?

अब समय आ गया है कि जनता ऐसे राजनीति के बाज़ीगरों को कटघरे में खड़े कर के सवाल पूछे. दुमुहीं राजनीति कतई बर्दाश्त नहीं होगी. फिर चाहे वह नीतिश हों या लालू या पासवान .... ( देखें अगली पोस्ट)

वाह लालूजी वाह!! नीतिश को गरियाओगे तो पासवान को कहां छिपाओगे ?

इस हमाम में सभी नंगे हैं . इधर नीतिश कुमार का मुलम्मा उतरा तो उधर लालू जी भी अपनी भद पिटवा गये.

एक प्रेस कांफ्रेंस के ज़रिये लालू जी ने भाजपा से दोस्ती के सवाल पर नीतिश को कटघरे में खड़ा करके गोला दागा. कहने लगे कि जरा भी शर्म है तो या तो भाजपा से अलग हो जायें या फिर भाजपा में शामिल हो जायें.
बहुत सही लालू जी. अच्छा प्वाइंट पकड़ा है आपने . हम भी सहमत हैं . पर सूप बोले तो बोले छलनी भी ...

लालू जी, आप तो राम विलास पासवान को राज्यसभा में भेज् रहे हैं. ये वही पासवान हैं ना जो राजग की सरकार में मंत्री थे. अब आपके सगे हैं ? यानी जो आपके साथ रहे वह धर्म-निरपेक्ष और जो आपके खिलाफ हो जाये वह साम्प्रदायिक.

कल तक तो पासवान साम्प्रदायिक थे और आपके लिये अछूत थे,( जैसे कि नीतिश कुमार आज हैं). अब आपकी गोटी उनके साथ फिट बैठ रही है ,तो उनका सारा दाग धुल गया? कौन सी गंगा में नहला दिये उन्हें आप ?