शनिवार, 5 सितंबर 2009

बड़े बड़े अखबारों में ऐसी छोटी छोटी बातें...


अब हिन्दुस्तान की बारी है और पूरी तैयारी है ? नहीं जी ,कहां है पूरी तैयारी? यहां तो आलम यह है कि एक तरफ विज्ञापन छपने के बावज़ूद धार्मिक / आध्यात्मिक गुरुओं के नामों में भी भयंकर लापरवाही. एक नज़ारा प्रस्तुत है इस राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक के दो अंकों से..

मुद्दआ यह है कि समाचारपत्रॉं का सम्पादकीय विभाग इतना सम्वेदनहीन क्यों है कि एक संस्थान से विज्ञापन का पैसा वसूल हुआ नहीं कि उसे भूल बैठे.

राजधानी के एक प्रमुख राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक में 2 सितम्बर को छपा एक विज्ञापन जो गुरु दुर्बलनाथ जी के 148 वें जन्म दिवस समारोह से सम्बन्धित था.


अगले दिन इसी समाचारपत्र में उस समारोह की रपट भी प्रकाशित हुई, परंतु अब ज़रा उस रपट पर एक निगाह डालें. गुरु दुर्बल नाथ को बना दिया दुर्लभनाथ. प्रमुख संवाददाता की लापरवाही तो देखें कि पूरी रपट में दो बार गुरु जी को दुर्बलनाथ बताया गया है और दो बार दुर्लभनाथ.

इतना सब तब,जब एक दिन पहले ही संस्था से बड़े विज्ञापन की रकम भी डकारी जा चुकी थी. विज्ञापन का पैसा हज़म ,तो फिर खेल खतम?
कहते हैं बड़े बड़े अखबारों में ऐसी छोटी छोटी बातें...जाने भी दो यारो !

1 टिप्पणी:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

चौबेजी प्रणाम ,
शुभकामनायों के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |